शादी विवाह और सामाजिक लूट

रोहित संवाद न्यूज 

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हाल में मैं एक शादी में गया हुआ था,

रिसोर्ट में शादी का प्रबंध हुआ था,

बारात में बैंड का नाम महबूब बैंड था 

गाने वाले का नाम महबूब खान था।


आगे लाउड स्पीकर की गाड़ी थी

वह महबूबा डीजे की गाड़ी थी,

युवतियाँ व महिलायें दर्शाने वाले

कपड़ों में सड़क पर नाच रही थीं। 


उन पर घर के लोग रुपये निछावर

करके बैंड वालों को लुटा रहे थे,

रिसेप्शन में संगीत के कार्यक्रम

में फिल्मी गीत बजाये जा रहे थे।


इसके पहले घर की महिलाओं के

हाथों में मेहंदी लगाने या मेकअप,

हेयर स्टाइल करने को जो आये थे,

वह लोग भी महबूब खान के ही थे।


एक दिन की ही शादी से उन सब 

को कई कई लाख रुपए दिये गये,

यही दिखावा व फूहड़ता हम सबके

द्वारा अब इस समाज को दिए गये।


विवाह के मांगलिक कार्य तीन

आचार्यों की टीम कर रही थी,

तीनों दिन सुबह से रात तक यही

टीम घर वालों के साथ रही थी।


तीन दिनों के पूरे कार्यक्रम में उन्हें

कुल रूपये इक्कीस हज़ार मिले,

यानी एक पंडित को तीन दिन की

दक्षिणा में रूपये सात हज़ार मिले। आईआई


इस से ज्यादा रुपए तो न्योछावर

करके बैंड वालों को दे दिये गये,

इन बातों को हमारे समाज की

विकृतियां या अदूरदर्शिता कहें।


इसे हमारे समाज की अज्ञानता या

कुछ भी कहें, समाज में आई कैसे,

शायद दहेज दानव की आँड़ में मिले

दुल्हन के घर से अवैध स्त्री धन से।


यह सोचनीय सामाजिक बुराई

कितनी गम्भीर, सम्वेदनशील है,

पूरा समाज विचार करे बैंड बाजे,

डीजे की धुन पर नृत्य अब बंद करे।


सारा समाज एकमत हो शादी बारात

या सभी मांगलिक कार्यक्रमों में बैंड

बाजे व डीजे बाजे जैसी फूहड़ता एवं

अन्य सभी फ़ालतू दिखावे बंद करे।

आदित्य आइये परिवार, समाज में,

सामाजिक बुराईयों की चर्चा कर,

उन पर ध्यान दें, विचार करें, और

समाज की सारी विकृतियां दूर करें।


कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’

लखनऊ

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